गर्भाधान संस्कार विधि क्या है
पहला संस्कार: गर्भाधान
योग्य, गुणवान और आदर्श संतान प्राप्त करने के लिए मनुष्य जीवन का यह पहला संस्कार है आइए जानते है आध्यात्मिक गुरु आचार्य आनन्द प्रकाश नौटियाल जी से की इसे क्यों किया जाता हैं
गर्भाधान संस्कार कहा गया है
गृहस्थ जीवन में प्रवेश के उपरान्त प्रथम कर्त्तव्य के रूप में इस संस्कार को मान्यता दी गई है.
उत्तम संतति की इच्छा रखनेवाले माता-पिता को गर्भाधान के लिए अपने तन और मन की पवित्रता के लिये यह संस्कार करना चाहिए. कहा गया है,
जन्मना जायते शुद्रऽसंस्काराद्द्विज उच्यते।।
यानि जन्म से सभी शुद्र होते हैं और संस्कारों द्वारा व्यक्ति को द्विज बनाया जाता है.
इसके तहत बच्चे के जन्म के पहले स्त्री और पुरुष को अपनी सेहत और मानसिक अवस्था का अनुमाप करना चाहिए
श्रेष्ठ आचार्य पंडित या कुलपुरोहित जी से इस संस्कार के लिय शुभ मुहूर्त निर्धारित करवाए
तिथि, वार, नक्षत्र,योग, करण, आदि के अनुसार ही गर्भधारण करना चाहिए. ताकि शिशु निरोग और गुणवान हो सके
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