Evacuation Sanskar Sanatan Tradition निष्क्रमण संस्कार सनातन परम्परा

Evacuation Sanskar Sanatan Tradition
निष्क्रमण संस्कार सनातन परम्परा के अनुसार

आज हम जानेंगे सनातन परंपरा के अंतर्गत 16 संस्कारों में से निष्क्रमण संस्कार षष्ठम संस्कार के बारे में आचार्य आनन्द जी से 
निष्क्रमण का अर्थ है 👉 बाहर निकालना। बच्चे को पहली बार जब घर से बाहर निकाला जाता है। उस समय निष्क्रमण-संस्कार किया जाता है। इसमें बालक को घर के भीतर से बाहर निकलने को निष्क्रमण कहते हैं। इसमें बालक को सूर्य का दर्शन कराया जाता है। बच्चे के पैदा होते ही उसे सूर्य के प्रकाश में नहीं लाना चाहिये। इससे बच्चे की आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिये जब बालक की आँखें तथा शरीर कुछ पुष्ट बन जाये, तब इस संस्कार को करना चाहिये।

निष्क्रमणादायुषो वृद्धिरप्युद्दिष्टा मनीषिभिः।

इस संस्कार का फल ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाताओं ने शिशु के स्वास्थ्य और आयु की वृद्धि के लिय महत्वपूर्ण बताया है 
जन्मे के चौथे मास में निष्क्रमण-संस्कार होता है। जब बच्चे का ज्ञान और कर्मेंन्द्रियों सशक्त होकर धूप, वायु आदि को सहने योग्य बन जाती है तब इस संस्कार को विधिवत सम्पादित करना चाहिए
कुलपुरोहित पंडित जी द्वारा विधि विधान से पूजा पाठ संपादित करवा कर यह संस्कार करने का विधान है
गणेश,दुर्गा,शिव,विष्णु,सूर्य तथा चंद्र आदि देवताओ का पूजन करके बच्चे को सूर्य, चंद्र आदि के दर्शन कराना इस संस्कार की मुख्य प्रक्रिया है। चूंकि बच्चे का शरीर पृथ्वी, जल, तेज, वायु तथा आकश से बनता है, इसलिए बच्चे के कल्याण की कामना करते हुए यह संस्कार विधिवत् सम्पादित करना चाहिए तथा आचार्य आनन्द जी के अनुसार किसी देवालय मंदिर में जाकर के अन्न जल वस्त्र तथा फल का यथा शक्ति दान भी अवश्य करना चाहिए 
गौ माता को बच्चे के हाथ से छुआ कर कुछ हरा चारा पत्ती भी खिलना चाहिए 
कही कही लोकाचार के अनुसार निष्क्रमण संस्कार के दिवस पहली बार शिशु को ननिहाल ले जाया जाता हैं
शास्त्रों में भी वर्णित हैं 
शिवे ते स्तां द्यावापृथिवी असंतापे अभिश्रियौ। 
शं ते सूर्य आ तपतुशं वातो ते हदे। 
शिवा अभि क्षरन्तु त्वापो दिव्यः पयस्वतीः ।।

हे बालक! तेरे निष्क्रमण के समय द्युलोक तथा पृथिवीलोक कल्याणकारी सुखद एवं शोभास्पद हों। सूर्य तेरे लिए कल्याणकारी प्रकाश करे। तेरे हदय में स्वच्छ कल्याणकारी वायु का संचरण हो। दिव्य जल वाली गंगा-यमुना नदियाँ तेरे लिए निर्मल स्वादिष्ट जल का वहन करें। यही कामना हम परम पिता परमेश्वर से करते है।

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